फ़ॉलोअर

कुल पेज दृश्य

रविवार, 27 मार्च 2016

पूरा प्रयास किया जाता है कि जिनकी रचनायें /लेख/कहानी आद‍ि मिले सभी को अवसर दिया जाए ,पर कोई न कोई रह जाता है । कुछ तो निश्चित पृष्‍ठ संख्‍या की बाध्‍यता और कुछ समय की सीमा । पत्रिका के पृष्‍ठों की निश्चित संख्‍या है हालॉकि इस बार हमने पत्रिका के पृष्‍ठों की संख्‍या बढायी है । पत्रिका के प्रेस में जाने से पहले सामग्री को फाइनल करने से पहले जिनकी रचनॉए आद‍ि आ गई ,उन पर विचार कर लिया जाता है । प्रेस में जाने के बाद हम चाहकर भी नहीं ले सकतें हैं । जो मित्र /पाठक/रचनाकार फेसबुक पर हैं हमारी मित्र मंडली में है अगर उनसे पावती की सूचना इसी के माध्‍यम से मिल जाती है तो अच्‍छा है नहीं तो डाक वापस न आने पर हम समझतें हैं कि आपको पत्रिका प्राप्‍त हो गई । कभी कभी ऐसा भी होता है कि पत्रिका आपको प्राप्‍त भी नहीं हुई और हमारे पास वापस भी नहीं इसका मतलब रास्‍ते में कहीं इधर उधर हो गयी । पत्रिका अगर हमारे पते पर वापस आ जाती है तो पता कन्‍फर्म कर पुन: भेजी जाती है । पत्रिका सभी को बुक पोस्‍ट से भेजतें हैं , सदस्‍यों से जो शुल्‍क डाक खर्च सहित लिया जाता है उसमें बुक पोस्‍ट का खर्च होता है ,मात्र रु० १०/- । पत्रिका की सदस्‍यता सम्‍बन्‍धी अधिक जानकारी के लिए आप हमारे मेल आई डी - karunavati.sahity7@gmail.com अथवा मोबाइल नं०- ७३७६१५००६२ पर सुबह १० से सांयकाल ५ बजे तक सम्‍पर्क कर सकतें है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें